मंगलाचरणम
स जयति सिंधुरवदनो देवो यत्पाद पंकजस्मरणं |
वासरमणिरिव तमसां राशीननाशयति विघ्नानाम || १ ||
सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः |
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः || २ ||
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजानन: |
द्वादशैतानि नामानि य: पठेत्श्रुणुयादपि || ३ ||
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा |
संग्रामे सङ्कटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते || ४ ||
शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजम |
प्रसन्नवदनं ध्यायेतसर्वविघ्नोपशान्तये || ५ ||
व्यासं वशिष्ठनप्तारम शकते: पौत्रंकल्मषम |
पराशरात्मजं वन्दे शुक्तातं तपोनिधिम || ६ ||
व्यासाय विष्णुरूपाय व्यासरूपाय विष्णवे |
नमो वै ब्रह्मनिधये वासिष्ठाय नमो नम: || ७ ||
अचतुर्वदनो ब्रह्मा द्विबाहुरपरो हरि: |
अभाललोचन: शम्भुरभगवानवादरायण: || ८ ||
हिंदी-अनुवाद
उन गजवदन देवाधिदेव की जय हो, जिनके चरण कमल का स्मरण सम्पूर्ण विघ्न समूह को इस प्रकार नष्ट कर देता है जैसे सूर्य अन्धकार राशि को||१|| जो पुरुष विद्यारम्भ, विवाह, गृहप्रवेश, निर्गमन, संग्राम के समय सुमुख, एकदन्त, कपिल, गजकर्ण, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाशन, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र , और गजानन इन बारह नामों का पाठ या श्रवण भी करता है उसे किसी भी प्रकार का विघ्न नहीं होता है | जो श्वेत वस्त्र धारण किये है चन्द्रमा के समान जिनका वर्ण है तथा जो प्रसन्नवदन है उन देवाधिदेव चतुर्भुज भगवान् विष्णु का सब विघ्नो की निर्वृत्ती के लिए ध्यान, स्मरण , व् पूजन करना चाहिए | जो वशिष्ठ जी के प्रपौत्र शक्ति के पौत्र पाराशर जी के पुत्र तथा शुकदेवजी के पिता है, उन निष्पाप, तपोनिधि व्यास जी कि मैं वंदना करता हूँ | व्यास ही विष्णु रूप है और विष्णु स्वयं ही व्यास जी के रूप में अवतरित हुए है| मैं वशिष्ठवंशज ब्रह्मनिधि श्रीव्यास जी को बारम्बार नमस्कार करता हूँ | भगवान् वेदव्यास जी चार मुख के ब्रह्मा है, दो भुजाओ वाले दूसरे विष्णु है और ललाटलोचन (तीसरे नेत्र) से रहित साक्षात महादेव जी है |