राहु जैसा कि नाम सुनकर प्रतीत होता है कि एक दुष्ट प्रवृति वाला ग्रह, कहा गया है कि जिस मनुष्य की जन्म कुण्डली में राहु अशुभ प्रभाव युक्त होता है वह जातक अपने जीवन मे घोर कष्ट प्राप्त करता है।
किन्तु क्या कभी हमने यह जानने का प्रयास किया कि राहु क्यों बुरा है। क्यों उसको पाप ग्रह होने के बाद भी नवग्रहों में अत्याधिक महत्व दिया गया है। क्यों राहु के नाम पर ही पूजा अनुष्ठान अधिक से अधिक किये जाते है। ऐसे ही कई प्रश्न है जो हमारे मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालते है। आईये आज हम ऐसे ही प्रश्नों का उत्तर जानने का प्रयत्न करते है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार राहु एक असुर का नाम था। जो कि आकस्मिक लाभ हेतु समुद्रमंथन के समय असुरों की ओर से समुद्रमंथन में अपना सहयोग प्रदान कर रहा था। जिसके अनुसार हम कह सकते है कि राहु परिश्रमी एवं लालची था।
कहा जाता है कि समुद्रमंथन के समय जब अमृत प्राप्त हुआ तो देवताओं और असुरों ने उस पर अपना अधिकार प्राप्त करने का प्रयास किया किंतु देवताओं ने चतुराई से विष्णु भगवान द्वारा अमृत को असुरों को न देने के लिए बाध्य किया जिस कारण विष्णु भगवान ने भी देवताओं के हित एवं धर्म की स्थापना हेतु उस अमृत का पान असुरों की बजाए देवताओंं को ही कराना उचित समझा किन्तु जब राहु को इसके बारे में ज्ञात हुआ तो वह देवताओं एवं विष्णु भगवान के अन्याय के प्रति अत्याधिक क्रोधित हुआ उसने इस अन्याय का प्रतिशोध लेने हेतु अपना रुप देवताओं के समान बना लिया। इस प्रकार कहा जा सकता है कि राहु अन्याय के विरुद्ध था ।
किन्तु अमृतपान के समय सूर्य और चन्द्र ने राहु को पहचान लिया और उसका मुख विष्णु भगवान के द्वारा उसके धड़ से अलग करवा दिया। जिस कारण राहु अमृत प्राप्त करने के बाद भी अपनी अमरत्व पाने की इच्छा को पूर्ण न कर सका और प्रतिशोधवश सूर्य और चन्द्र को ग्रहण लगाने लगा।
जिस मनुष्य की जन्म कुण्डली में राहु बली होता है तो वह केवल अपनी दशा में सूर्य और चन्द्र को आत्मिक एवं मानसिक रुप से पीडित करता है। जिस कारण मनुष्य आत्मिक एवं मानसिक रुप से अत्याधिक परेशान भी रहता है और राहु को शांत करने के लिए पूजा अनुष्ठान इत्यादि करवाता है ।
इस प्रकार हम कह सकते है कि राहु गलत नहीं है वह तो केवल अपने हित के बारे में सोचकर किसी न किसी प्रकार से लाभ प्राप्त करना चाहता है आज इस युग में भी राहु प्रत्येक मनुष्य के अन्दर विद्यमान है एक ऐसा मनुष्य जो समाज में अपनी पहचान बनाना चाहता है जो पक्षपातरहित समाज चाहता है । जो अपने ऊपर हुए अन्याय का अति शीघ्र प्रतिशोध लेना चाहता है। जो अवसरो की खोज कर अवसरो से लाभ प्राप्त करना चाहता है। जो अपनी इच्छाओं को अति शीघ्र पूर्ण करना चाहता है।
किन्तु हम आज तक राहु का सही परिचय किसी के भी सन्मुख सही रख पाने में सफल नही हो सके है क्योकि हमें तो राहु के माध्यम से धन अर्जित करना है। जैसे किसी अपराधी के नाम का डर दिखाकर चंदा माँगा जाता है ठीक वैसे ही।
राहु को शांत करने के लिए प्रतिदिन राहु-काल में उत्तर दिशा की ओर मुख करके "ऊँ राँ राहवे नमोः नमः" के मंत्रौच्चारण सहित गाय के दुग्ध से राहु का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से राहु जन्म कुण्डली के जिस भाव पर उपस्थित होता है तो उस भाव के लिए शीघ्र लाभ प्रदान करने की पूरी क्षमता रखता है।
सौजन्य से:
॥ चलो चले ज्योतिष की ओर ॥
॥ अन्धविश्वास से विश्वास की ओर ॥
Nice Blog
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जानकारी दी है इस ब्लॉग मै। राहु से डरने की जरूरत नहीं है
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