श्रावन माह हिन्दू धर्म का एक पवित्र महीना जो कि उत्तर भारत में भगवान् शिव को समर्पित होता है ।
भगवान शिव की भक्ति करने का प्रमुख माह है "श्रावन माह " श्रावन माह में भोलेनाथ शिव की पूजा- अर्चना का दौर जारी रहता है । सभी शिव मंदिरों में श्रावन माह के अंतर्गत विशेष तैयारियां की जाती है । चारों और श्रद्धालुओं द्वारा "बम - बम भोले एवं ॐ नमः शिवाय की जयकारे सुनाई देते है । और श्रावन माह में ही शिवालयों में श्रद्धालुओं की अच्छी - खासी भीड़ नजर आती है ।
श्रावन माह शिव भक्तों को अमोघ फल देने वाला माना गया है । माना जाता है की भगवान् शिव ने काशी विश्वनाथ की पूरी नगरी का भार अपने त्रिशूल की एक नोक पर उठा रखा है । जिस कारण श्रावन माह अपना बारह महीनो में एक विशेष महत्व रखता है ।
महिलाएं श्रावन माह के प्रत्येक सोमवार (चन्द्र वार ) को विशेष पूजा अर्चना और व्रत- उपवास रखकर अपने परिवार की सुख - शान्ति एवं वृद्धि की भगवान् शिव से प्रार्थना करती है ।
विशेष कर सभी व्रतों में सोलह सोमवार का व्रत श्रेष्ठ माना गया है । इस व्रत को बैसाख माह , श्रावन माह, कार्तिक माह और माघ माह में किसी भी सोमवार से प्रारंभ किया जा सकता है और व्रत की समाप्ति पर सत्रहवें सोमवार को सोलह दंपत्ति को भोजन एवं किसी वस्तु का दान उपहार स्वरुप देकर उद्यापन किया जाता है ।
धार्मिक पुराणों के अनुसार श्रावन माह में यदि कोई भी व्यक्ति इनमे से किसी भी एक ( शिव पुराण , शिव लीलामत , शिव कवच, शिव चालीसा , शिव पञ्चाक्षर मंत्र एवं स्तोत्र ) का नियमानुसार पाठ करे तो भगवान् शिव उसे इच्छित फल प्रदान करते है । और श्रावन माह में ही शिव भगवान् को एक बिल्व- पत्र चढाने से तीन जन्मों के पापों का नाश होता है ।
भगवान शिव की पूजा हेतु सामग्री :- कच्चा दूध , सफेद फल, भस्म , भांग , धतूरा, श्वेत वस्त्र, इत्यादि ।
सौजन्य से :-
No comments:
Post a Comment