Sunday, September 4, 2016

मैं ज्योतिष हूँ ।



मैं ज्योतिष  हूँ मैं भविष्य में होने वाली समस्त घटनाओं का सदैव ज्ञान रखता हूँ मुझे भविष्यवक्ता के रूप में ईश्वरीय वरदान प्राप्त है ।  वैदिक काल से ही मैं समस्त विद्वजनों में प्रचलित हूँ मुझे भविष्य में होने वाली समस्त घटनाओ एवम परिणामों का सदैव ज्ञान रहता है मैं सत्य को ही अपना परम मित्र एवम विश्वासपात्र मानता हूँ क्योंकि इस संसार में बिना मित्र जीवित नहीं रहा जा सकता किन्तु असत्यरुपी शत्रु मुझे अंधविश्वास की संज्ञा देने में लगा रहता है क्योंकि असत्य नहीं चाहता कि  मैं अपने मार्ग में अग्रसर रहूँ । मुझमें अहंकार मात्र भर भी नहीं है   किन्तु जो मुझे अपना मित्र बनाकर अहंकार भाव रखता है तो उस जैसा मुर्ख इस संसार में कोई और नहीं है । मेरे पास धन भी मात्र भर नहीं है किन्तु जब मेरे ज्ञान को  किसी के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है तब प्रस्तुत करने वाला पल भर में धनी हो जाता है । मैं ज्योतिष हूँ ।

समस्त भू-मंडल मेरा घर है और भू-मंडल से बाहर विचरण कर रहे समस्त ग्रह , उपग्रह ,नक्षत्र इत्यादि मेरे परम मित्र है या कहिये पड़ोसी है जो सदैव मुझे अपने घर के प्रति सचेत करते रहते है मैंने सत्य के साथ -२ समय और दशाओं को भी अपने परम मित्र की पदवी प्रदान की है । मुझे सत्यता का वातावरण अत्यधिक प्रिय है । मेरा सत्य के साथ  जब - २  आह्वान किया जाता है तब - २ मुझे विजय का गौरव प्राप्त होता है । मैं ज्योतिष हूँ ।

मैं भू-मंडल में निवास कर रहे सभी मनुष्यरूपी जीवो को भी मित्रता  की संज्ञा प्रदान करता हूँ  क्योंकि भू-मंडल में निवास कर रहे सभी मनुष्यरूपी जीवों को मैं अपना अतिथि मान "अतिथिदेवोभवः " का सम्मान करता हूं । मैं समस्त मनुष्यरूपी जीवों के समक्ष सत्य की व्याख्या करता हूँ एवम सत्य का गुणगान करता हूँ ।  मैंने अपने ज्ञान के द्वारा भाग्य और कर्म की तुलना में  कर्म पर अधिक बल दिया है क्योंकि कर्म के द्वारा भाग्य का निर्धारण किया जा सकता है । मैं ज्योतिष हूँ ।.

मैं प्रत्येक मनुष्यरूपी जीव को कठिनाई की स्तिथि में भरपूर सहयोग प्रदान करता हूँ । मैं कठिनाई की स्तिथि में अपने परम मित्रों ग्रहो, नक्षत्रों, इत्यादि का सहारा लेकर मनुष्य रुपी जीव को संयम के सहारे जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित करता हूँ । क्योंकि कठिनाई में सच्चा मित्र ही सहारा होता है । मैं अकेला किसी को प्रसन्न नहीं कर सकता और न ही किसी का सहारा बन सकता हूँ जब तक कि  मेरे मित्रों को मेरे समक्ष उपस्थित नहीं किया जाए । जब मनुष्यरूपी जीव चिंता की स्तिथि में मेरा अनुसरण करता है तब में उन्हें चिंतन करने की सलाह प्रदान करता हूँ क्योंकि मैं भी चिंता के समय चिंतन करता हूँ  मेरे चिंतन में सागर से भी अत्यधिक गहराई है  मैं आज भी चिंतन ही कर रहा हूँ चिंतन इस बात का कि  कोई मेरे वास्तविक रूप को इस नयी दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करें ॥ मैं ज्योतिष हूँ ॥






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