Tuesday, November 24, 2020

Rahu - A Vengeance




Rahu As the name suggests, a planet with a malefic planet, it is said that a person who has an inauspicious effect of the Raahu in his Horoscope  gets a lot of trouble in his life.

But did we ever try to find out why Rahu is bad. Why despite a sin planet, importance has been given in the Navagrahas. Why worship rituals are done more and more in the name of Rahu. There are many such questions which have a profound effect on our brain. Come, today we try to find answers to similar questions.

According to mythological belief, Rahu was the name of an asura. Who was providing his support in the Samudramanthan on behalf of the Asuras at the time of Samudramanthan for accidental benefit. According to which we can say that Rahu was hardworking and greedy.

It is said that when the nectar was received at the time of Samudramanthan, the gods and asuras tried to get their authority over it, but the gods cleverly forced the Vishnu god not to give the nectar to the asuras for establishment of the religion after this it has decidefappropriate to make the drink of that nectar to the gods instead of the Asuras, but when Rahu came to know about it, he became extremely angry with the injustice of Gods and Vishnu.

He took his form like the gods to take revenge for this injustice. Thus it can be said that Rahu was against injustice.

But at the time of amritpana, Surya and Chandra recognized Rahu and got his face separated from his torso by Lord Vishnu. Due to which Rahu could not fulfill his desire of attaining immortality even after getting nectar and retaliating and started eclipsing Sun and Moon.

If Raahu is place in human's Horoscope on Strong bhaav, he only disturb Sun and Moon in his Mahadasha. Due to which the person is also very disturbed physically and mentally and gets worship rituals etc. done to calm Rahu.

In this way we can say that Rahu is not wrong, he only wants to get benefit in some way by thinking only about his interest, even in this time, Rahu is present in every human being. Who wants to create a unbiased society. Who wants to take vengeance on the injustice done to them very quickly. One who seeks gains from opportunities. Who wants to fulfill his desires very quickly.

But till date we have not been able to get the right introduction of Rahu in front of anyone, because we have to earn money through Rahu. Just like a Recieve a donate by showing fear the name of criminal.

In order to pacify Rahu, Rahu should be anointed daily with cow's milk along with the chanting of "Oum Ram Raahvey namoh namah" in the Rahu period. By doing this if Rahu is present in the any Bhhav of horoscope then Raahu provides immediate benefits for that house.

Courtesy by:



Monday, November 23, 2020

राहु - एक प्रतिशोध


राहु जैसा कि नाम सुनकर प्रतीत होता है कि एक दुष्ट प्रवृति वाला ग्रह, कहा गया है कि जिस मनुष्य की जन्म कुण्डली में राहु अशुभ प्रभाव युक्त होता है वह जातक अपने जीवन मे घोर कष्ट प्राप्त करता है।

किन्तु क्या कभी हमने यह जानने का प्रयास किया कि राहु क्यों बुरा है। क्यों उसको पाप ग्रह होने के बाद भी नवग्रहों में अत्याधिक महत्व दिया गया है। क्यों राहु के नाम पर ही पूजा अनुष्ठान अधिक से अधिक किये जाते है। ऐसे ही कई प्रश्न है जो हमारे मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालते है। आईये आज हम ऐसे ही प्रश्नों का उत्तर जानने का प्रयत्न करते  है। 

पौराणिक मान्यता के अनुसार राहु एक असुर का नाम था। जो कि आकस्मिक लाभ हेतु समुद्रमंथन के समय असुरों की ओर से समुद्रमंथन में अपना सहयोग प्रदान कर रहा था। जिसके अनुसार हम कह सकते है कि राहु परिश्रमी एवं लालची था।

कहा जाता है कि समुद्रमंथन के समय जब अमृत प्राप्त हुआ तो देवताओं और असुरों ने उस पर अपना अधिकार प्राप्त करने का प्रयास किया किंतु देवताओं ने चतुराई से विष्णु भगवान द्वारा अमृत को असुरों को न देने के लिए बाध्य किया जिस कारण विष्णु भगवान ने भी देवताओं के हित एवं धर्म की स्थापना हेतु उस अमृत का पान असुरों की बजाए देवताओंं को ही कराना उचित समझा किन्तु जब राहु को इसके बारे में ज्ञात हुआ तो वह देवताओं एवं विष्णु भगवान के अन्याय के प्रति अत्याधिक क्रोधित हुआ उसने इस अन्याय का प्रतिशोध लेने हेतु अपना रुप देवताओं के समान बना लिया। इस प्रकार कहा जा सकता है कि  राहु अन्याय के विरुद्ध था

किन्तु अमृतपान के समय सूर्य और चन्द्र ने राहु को पहचान लिया और उसका मुख विष्णु भगवान के द्वारा उसके धड़ से अलग करवा दिया। जिस कारण राहु अमृत प्राप्त करने के बाद भी अपनी अमरत्व पाने की इच्छा को पूर्ण न कर सका और प्रतिशोधवश सूर्य और चन्द्र को ग्रहण लगाने लगा।

जिस मनुष्य की जन्म कुण्डली में राहु बली होता है तो वह केवल अपनी दशा में सूर्य और चन्द्र को आत्मिक एवं मानसिक रुप से पीडित करता है। जिस कारण मनुष्य आत्मिक एवं मानसिक रुप से अत्याधिक परेशान भी रहता है और राहु को शांत करने के लिए पूजा अनुष्ठान इत्यादि करवाता है ।

इस प्रकार हम कह सकते है कि राहु गलत नहीं है वह तो केवल अपने हित के बारे में सोचकर किसी न किसी प्रकार से लाभ प्राप्त करना चाहता है आज इस युग में भी राहु प्रत्येक मनुष्य के अन्दर विद्यमान है एक ऐसा मनुष्य जो समाज में अपनी पहचान बनाना चाहता है जो पक्षपातरहित समाज चाहता है । जो अपने ऊपर हुए अन्याय का अति शीघ्र प्रतिशोध लेना चाहता है। जो अवसरो की खोज कर अवसरो से लाभ प्राप्त करना चाहता है। जो अपनी इच्छाओं को अति शीघ्र पूर्ण करना चाहता है। 
किन्तु हम आज तक राहु का सही परिचय किसी के भी सन्मुख सही रख पाने में सफल नही हो सके है क्योकि हमें तो राहु के माध्यम से धन अर्जित करना है। जैसे किसी अपराधी के नाम का डर दिखाकर चंदा माँगा जाता है ठीक वैसे ही।

राहु को शांत करने के लिए प्रतिदिन राहु-काल में उत्तर दिशा की ओर मुख करके  "ऊँ राँ राहवे नमोः नमः" के मंत्रौच्चारण सहित गाय के दुग्ध से राहु का अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से राहु जन्म कुण्डली के जिस भाव पर उपस्थित होता है तो उस भाव के लिए शीघ्र लाभ प्रदान करने की पूरी क्षमता रखता है।



सौजन्य से:





॥ चलो चले ज्योतिष की ओर ॥ 
॥ अन्धविश्वास से विश्वास की ओर ॥

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